उत्तराखंड की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर हमेशा से फिल्म निर्माण के लिए एक आकर्षक स्थल रही है। अब यह राज्य देश-विदेश के फिल्मकारों के बीच एक प्रमुख शूटिंग स्थल के रूप में पहचान बना चुका है। खासकर, क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों के लिए यह जगह खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। हाल ही में, मुंबई स्थित फिल्म प्रोडक्शन हाउस “डीपविज़न” ने अपनी फिल्म “द्वी होला जब साथ” को गढ़वाली भाषा में प्रस्तुत किया, जो देहरादून में प्रदर्शित की गई। फिल्म की कहानी और निर्देशन ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, खासतौर पर फिल्म में उठाए गए सैन्य और शौर्य के विषय ने दर्शकों के दिलों को छुआ।
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कार्यक्रम में उत्तराखंड के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने फिल्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस फिल्म ने उत्तराखंड की गौरवशाली सैन्य परंपराओं, प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को बेहतरीन तरीके से दर्शाया है। उन्होंने फिल्म के विषय और प्रस्तुति के लिए फिल्मकारों को आभार व्यक्त किया। इसके अलावा, शहीद श्री दयाल सिंह की पत्नी श्रीमती अंजू देवी को फिल्म की विशेष प्रदर्शनी में सम्मानित किया गया। शहीद ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। फिल्म में उनका योगदान और बलिदान भी दर्शाया गया है, जिससे दर्शकों को एक नई प्रेरणा मिली। कार्यक्रम के बाद, सतपाल महाराज ने फिल्म के विषय और तकनीकी पक्ष की सराहना की। उन्होंने इसे राज्य की गौरवशाली विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक शानदार प्रयास बताया।
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फिल्म की सफलता पर अपनी टिप्पणी देते हुए प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीमती मोहनी ने भी कहा, “यह फिल्म दर्शकों को शुरुआत से लेकर अंत तक बांधे रखती है और इसका भावनात्मक प्रभाव दर्शकों पर गहरा असर डालता है।” फिल्म के समापन पर, दर्शक भावुक होकर अपनी आंसुओं को पोंछते नजर आए, जो फिल्म के प्रभावशाली कथानक और प्रस्तुति की सफलता का प्रमाण था। यह कार्यक्रम उत्तराखंड की कला, संस्कृति और सैन्य परंपराओं का एक बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरा और इसने उत्तराखंड के फिल्म उद्योग को एक नई दिशा दी।







