इस होली के त्योहार पर संगीत प्रेमियों के लिए एक खास तोहफा आया है – “होलीनै बहार”, एक ऐसा गीत जो होली की खुशियों और बसंत के आगमन की खूबसूरती को दर्शाता है। इस गीत में न केवल होली के रंगों और गुलाल की महक का अहसास होता है, बल्कि बसंत ऋतु के स्वागत का भी संदेश दिया गया है।
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के लोक गायक स्व. पप्पू कार्की के बेटे दक्ष कार्की ने। पिता की विरासत को संभालते दक्ष की गायकी में लोक संगीत की जो मिठास है, वही इस गीत को खास बनाती है। वहीं बता दें, गीत की रचना मोहित रौतेला द्वारा की गई है, जिन्होंने पारंपरिक होली गीतों को एक नया रूप देने की कोशिश की है। इस गीत में ललित गित्यार का संगीत संयोजन सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है। “होलीनै बहार” में इस त्यौहार के रंगों, खुशियों और उल्लास को सजीव तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
यह गीत माया विष्णु म्यूजिक स्टूडियो, देहरादून द्वारा निर्मित किया गया है। संगीत की धारा में सुभाष पांडेय का योगदान भी विशेष है, जिन्होंने इसके रिदम को एक नया जोश दिया है। “होलीनै बहार” गीत में अपनी सुवा (प्रेमिका या पत्नी) संदेश भी है कि इस होली के मौके पर मायके न जाएं, बल्कि अपने परिवार और दोस्तों के साथ रंगों की यह होली मनाएं। यह गीत न केवल होली की पारंपरिक भावना को दर्शाता है, बल्कि साथ ही त्योहार के साथ आने वाली बसंत ऋतु का भी स्वागत करता है।
यह होली गीत संगीत प्रेमियों के बीच एक नया उत्साह और उल्लास लेकर आया है। दक्ष कार्की की आवाज और रचनात्मकता ने इस गीत को खास बना दिया है, जो आने वाले समय में होली के गीतों में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होगा। यह गीत पप्पू कार्की के यूट्यूब चैनल से रिलीज किया गया है। तो आइये इस गीत को सुन होली की शुरुआत करें।