Makkumath Temple : मक्कूमठ मंदिर की विशेषता
भगवान शंकर के विषय व उनसे जुड़े मंदिरो की विशेषता को सभी जानते है और उन्ही के एक मंदिर तुंगनाथ से जुडी एक ख़ास जानकारी आप सबके समक्ष पेश है |
मक्कूमठ गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जनपद की पट्टी परकण्डी व तहसील ऊखीमठ होते हुए या भीरी परकण्डी होते हुए पहुंचा जा सकता है। ऊखीमठ के रास्ते यह दूरी 32 किमी तथा भीरी के रास्ते 16 किमी है। यहाँ के एक जंगली रास्ते से तुंगनाथ की दूरी केवल 8 किमी है।
Makkumath Temple
वैसे तो तुंगनाथ मंदिर में भगवान शंकर के दर्शन करने के लिए लोगो का ताँता लगा रहता है। आपको बता दें की शीतकाल में जब तुंगनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं। तब भगवान् शंकर की डोली शोभायात्रा के साथ मक्कूमठ में आ जाती है। इस यात्रा के दौरान यह डोली एक रात चोपता में विश्राम करती है। रात्रि विश्राम भनकुंड की एक गुफा में किया जाता है। इसके बाद तीसरे दिन डोली मक्कूमठ पहुँचती है। शीतकाल में भोले की पूजा-अर्चना यहीं की जाती है। गर्मियों में तुंगनाथ के कपाट खुलने के बाद तांबे की डोली में ये मूर्तियाँ पूरी शोभायात्रा के साथ वापस चली जाती हैं।
Makkumath Temple

मक्कूमठ के मंदिर के गर्भगृह में मुख्य शिवलिंग ताम्रनाग से ढका हुआ है। इस में ऊपर रखे कलश से जलाभिषेक होता रहता है। यहाँ शिवलिंगों की पूजा मर्कटेश्वर के नाम से की जाती है। यहाँ की अन्य प्रतिमाओं में उल्लेखनीय है—भैरवनाथ, हनुमान, विष्णु, गौरीशंकर, लक्ष्मीनारायण, वेदव्यास—जो वास्तव में बुद्ध की प्रतिमा मानी जाती है।







