देहरादून: रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। इस परियोजना की सबसे लंबी सुरंग — टनल-8 — में पहली बार टनल बोरिंग मशीन (TBM) तकनीक से सफलता प्राप्त हुई है। 14.57 किलोमीटर लंबी यह सुरंग अब भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग बन चुकी है, जिसमें टीबीएम ‘शक्ति’ ने शानदार सफलता अर्जित की है।
इस ऐतिहासिक मौके पर रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव स्वयं साइट पर उपस्थित रहे। उन्होंने न केवल प्रगति का निरीक्षण किया बल्कि सुरंग निर्माण में लगे श्रमिकों और अधिकारियों का उत्साहवर्धन भी किया। टीबीएम ‘शक्ति’, जिसकी खुदाई क्षमता 9.11 मीटर व्यास तक की है, ने उत्तराखंड की कठोर पर्वतीय भू-रचना में अभूतपूर्व दक्षता और सटीकता से खुदाई पूरी की। यह पहली बार है जब देश के किसी पर्वतीय क्षेत्र में रेलवे टनल निर्माण के लिए इस अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है।

आरवीएनएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक प्रदीप गौर ने इसे एक ‘तकनीकी और रणनीतिक’ सफलता बताते हुए कहा, “यह उपलब्धि उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में कनेक्टिविटी सुधारने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।”ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन उत्तराखंड के पाँच पर्वतीय जिलों — देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग — को जोड़ती है। परियोजना का 83 प्रतिशत भाग सुरंगों से होकर गुजरेगा, जिसमें कुल 213 किलोमीटर से अधिक की मुख्य और निकासी सुरंगें शामिल हैं।
टनल-8, जो देवप्रयाग और जनासू स्टेशनों के बीच स्थित है, में दो टीबीएम — ‘शक्ति’ और ‘शिवा’ — कार्यरत हैं। जहां ‘शक्ति’ ने ब्रेकथ्रू प्राप्त कर लिया है, वहीं ‘शिवा’ से जुलाई 2025 तक सफलता की उम्मीद है।इस भारी भरकम (165 मीट्रिक टन) मशीन को गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से हिमालय की दुर्गम सड़कों से होते हुए साइट तक पहुंचाया गया, जो अपने आप में एक बड़ी लॉजिस्टिक चुनौती थी। भूगर्भीय रूप से संवेदनशील सेस्मिक जोन IV में स्थित होने के कारण निर्माण प्रक्रिया में उन्नत डिजाइन और सतत भूवैज्ञानिक विश्लेषण की आवश्यकता रही।इस परियोजना के पूरा होने से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग का यात्रा समय सात घंटे से घटकर दो घंटे रह जाएगा, जिससे चार धाम रेल संपर्क के साथ-साथ क्षेत्रीय पर्यटन और आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।








