
टिहरी एक खूबसूरती से भरा जनपद । टिहरी एक ऐसी जगह है जिसके बारे में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि बाहरी विदेशी लोग भी जानते है और जाने भी क्यों नहीं टिहरी में बने विशाल डैम से हर जगह बिजली का निर्यात जो होता है।आपको ज्ञात होगा की टिहरी डैम में बिजली का निर्माण किया जाता है तथा यह बिजली का सबसे बड़ा स्रोत है।
क्या एशिया के सबसे बड़े डैम का बन पाना इतना आसान था? डैम बनने का आदेश आयोग द्वारा 1972 में दि गयी थी। इस डैम के बनाने का उद्देशय जल संसाधनों का बेहतरीन तरिके से उपयोग व जल संसाधनों से बिजली का निर्माण करना था। किन्तु इस डैम के बनने का विरोध भी जमकर किया गया तथा विरोध करने वालो में सबसे पहला नाम आता है सुंदरलाल बहुगुणा व पर्यावरणवादी के उनके सहयोगी । अब इस बात पर विचार करना आवश्यक है की जिस डैम से बिजली का निर्माण व रोजगार का लाभ मिलना था उस डैम का इतना विरोध क्यों किया गया ?
Tehri Dam Report
इस विरोध का कारण शायद लोगो की वहां से जुडी भावनाये थी और हो भी क्यों नहीं डैम के निर्माण से यह तो निश्चित था की वहां पर रहने वाली जनता को अपना घर बार न्योछावर करना पड़ेगा। जिसके लिए शायद जनता तैयार नहीं थी । सरकार द्वारा टिहरी के लोगो को वहां से हटा दिया गया या यह कहा जाये की उन लोगो को कही और विस्थापित कर दिया गया ।
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जब टिहरी डैम का निर्माण किया गया तो कई गांव जलमगन हो गए गांववासियों के आँखों के सामने ही उनका वो घरबार डूब गया जहां उनकी जिंदगी के कई पल बीते थे । लोगो के आँखों से आँसु रोके नहीं रुके और देखा जाए जो टिहरी झील उन लोगो के आंसुओं से बनी है जिन्होंने अपना सब कुछ उस झील के लिए न्योछावर कर दिया ।
अब कुछ लोगो का सवाल ये है की क्या इतना बड़ा डैम सुरक्षित है ?
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कुछ वैज्ञानिको का मानना है की टिहरी डैम ‘गहन भूकम्पीय सक्रियता ‘ के क्षेत्र में आता है । अगर रिएक्टर पैमाने पर 8 की त्रिवता से भूकंप आया तो टिहरी डैम के टूटने का खतरा बन सकता है । अगर ऐसा हुआ तो डैम के आसपास गाँवो के साथ साथ कई मैदानी इलाके भी डूब जायेगे । बिजली का सबसे बड़ा स्रोत होने के साथ साथ कई लोगो की भावनाये भी इस डैम में समाहित है । शायद विकास के नाम पर कई पौराणिक संस्कृति से भरे टिहरी गाँवों का जलगमन हो गया ।
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सीमा रावत की रिपोर्ट






